दिल्ली में पेंडिंग पड़े है 85 प्रतिशत बाल यौन उत्पीड़न के केस
दिल्ली में पेंडिंग पड़े है 85 प्रतिशत बाल यौन उत्पीड़न के केस
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नई दिल्‍ली : बच्चो की यौन उत्पीड़न से रक्षा करने के लिए बनाये गए कानून (पास्को एक्ट) के तहत दिल्‍ली की अदालतों में अप्रैल 2013 से मार्च 2015 के बीच चल रहे करीब 85 प्रतिशत मामलो को लंबित कर दिया गया हैं. वहीं, पश्‍िचमी जिले में इन लंबित मामलों की संख्‍या सर्वाधिक 93 प्रतिशत है. दिल्‍ली कमीशन फॉर प्रोटेक्‍शन ऑफ चाइल्‍ड राइट्स ने यह डाटा पूर्ण विश्‍लेषण के बाद दिया है. इसमें यह जानकारी है कि यह पास्‍को एक्‍ट की धारा 35(2) का उल्‍लंघन है, जो मामलों की जल्‍द से जल्‍द सुनवाई को अनिवार्य मानता है, रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ऐसे मामलों की तस्‍वीर काफी खराब है.

उन्होंने कहा की अब तक पास्‍को के तहत महज दो फीसद मामलों में ही सजा हुई है और महज 15 फीसद मामलों का निपटारा भी किया जा चूका है. दिल्‍ली पुलिस के अनुसार दिसंबर 2012 से मार्च 2014 के बीच 1,492 मामले दर्ज किए गए है. सबसे ज्‍यादा मामले बाहरी दिल्‍ली में 226, इसके बाद पश्‍िचमी इलाके में 200 और फिर साउथ ईस्‍ट में लगभग 176 मामले दर्ज किए गए है. कमीशन का यह मानना है कि लंबित मामलों का प्रतिशत काफी अधिक है और सजा दिए जाने वाले मामलो का प्रतिशत काफी काम इसलिए है क्‍योंकि अदालतें इन मामलों में पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं हैं.

इन सभी अदालतों में बच्‍चों से जुड़े मामलों के साथ ही अन्‍य केसो की भी सुनवाई होती हैं.इस कारन कानून के अनुसार एक साल के भीतर मामलो के निपटारे के नियम का पालन बिलकुल भी नहीं हो पा रहा है. आपको बता दे की पास्‍को एक्‍ट 14 नवंबर 2012 में अस्तित्व में आया था. इसका मकसद यौन उत्पीड़न, यौन हिंसा के अपराधों से बच्चों को बचाना है. साथ ही ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्‍थापना की व्‍यवस्‍था भी की गई थी.

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