सूरज का सातवाँ घोडा बना 7वां पे कमीशन : गतिरोध और बैठकों का दौर जारी
सूरज का सातवाँ घोडा बना 7वां पे कमीशन : गतिरोध और बैठकों का दौर जारी
Share:

केन्द्रीय कर्मियों के लिए 7वें वेतन आयोग की शिफारिशे जस की तस लागू करने के केन्द्र सरकार के निर्णय के विरोध में देश के लाखों कर्मचारियों के विरोध का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। 11 जुलाई को विश्व की सबसे बड़ी हड़ताल के ऐलान के बाद दबाव में आई केन्द्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। गत दिवस यूनियन नेताओं से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार से बातचीत जारी है और उन्होंने फिर दोहराया कि सरकार लिखित आश्वासन दे या ऑशियल नोटिफिकेशन जारी करे। यानि अभी गतिरोध बरकरार है, साथ ही इसे खत्म करने की कवायद तेज हो गई है। कर्मचारी नेता का कहना है कि बातचीत पॉजिटिव हुई है।

लेकिन उनका कहना है कि बंद कमरे की बातचीत का तब तक भरोसा नहीं किया जा सकता जब तक सरकार सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकार न कर ले। बैठक में वित्तमंत्री और गृहमंत्री ने की कर्मचारी नेताओं से बात की । गौर तलब है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ 11 जुलाई से हड़ताल के ऐलान के अगले ही दिन वित्तमंत्री अरुण जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने केन्द्रीय कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया था। पहले दौर की बातचीत में सरकार ने न्यूनतम सैलरी बढ़ाने की उनकी मांग को एक कमेटी को सौंपने का प्रस्ताव रखा है। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया, सरकार ने कहा है कि एक कमेटी गठित होगी जो न्यूनतम सैलरी बढ़ाने की हमारी मांग पर विचार पर तय समय में राय देगी।

नेताओं का कहना है कि अगर सरकार न्यूनतम सैलरी बढ़ाने और नई पेंशन व्यवस्था को लेकर उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए लिखित आश्वासन देती है या ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी करती है, तो वो हड़ताल वापस लेने पर विचार कर सकते हैं। सरकार पर अब अगले दस दिनों में फैसला लेना का दबाव रहेगा क्योंकि अभीतक सरकार का इरादा पे कमीशन के जरिए 1 करोड़ कर्मचारियों को फील गुड कराना था, वो हड़ताल और विरोध की वजह से उल्टा पड़ सकता है। न्यूनतम सैलरी और पेंशन है कर्मचारियों की मांग में कर्मचारी संगठन मानते हैं कि उनकी सबसे अहम मांग न्यूनतम सैलरी में बढ़ोतरी को लेकर है। लिहाजा इसे लेकर केंद्र के आखिरी फैसले पर सबकी नज़र रहेगी।

पहले दौर की बातचीत में कर्मचारी संगठनों ने मुख्य तौर पर दो मांगे सरकार के सामने रखीं हैं। पहली, कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 7000 से बढ़ाकर 26000 सैलरी की जाए। दूसरी, नई पेंशन व्यवस्था को लेकर उनकी चिंताओं को दूर किया जाए। उधर सरकार कर्मचारी प्रतिनिधि मण्डल को आश्वासन दिया है कि अधिकारियों की एक कमेटी गठित की जाएगी, जो एक तय समय में इस मांग पर पर विचार करेगी। वहीं, सरकार ने साफ कर दिया है कि पेंशन को लेकर भी उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है। सवाल है कि अब आगे क्या होगा। सरकार ने कर्मचारियों से बातचीत तो शुरू कर दी है, अब आगे क्या रणनीति बनाई जा रही है दो पक्षों की तरफ से, क्या आगे फिर बातचीत होगी? अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पहले दौर की बैठक में जो मांगे सरकार के सामने कर्मचारी संगठनों ने रखी हैं। उनपर सरकार कितनी जल्दी पहल करती है।

Disclaimer : The views, opinions, positions or strategies expressed by the authors and those providing comments are theirs alone, and do not necessarily reflect the views, opinions, positions or strategies of NTIPL, www.newstracklive.com or any employee thereof. NTIPL makes no representations as to accuracy, completeness, correctness, suitability, or validity of any information on this site and will not be liable for any errors, omissions, or delays in this information or any losses, injuries, or damages arising from its display or use.
NTIPL reserves the right to delete, edit, or alter in any manner it sees fit comments that it, in its sole discretion, deems to be obscene, offensive, defamatory, threatening, in violation of trademark, copyright or other laws, or is otherwise unacceptable.
रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -