कभी-कभी जीवन में कुछ ऐसा हो जाता है जो हैरान कर जाता है लेकिन उससे डरकर, हारकर बैठना नहीं चाहिए। यही सीखाती है यह कहानी जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। जी दरअसल यह कहानी Humans Of Bombay ने शेयर की है। जी दरअसल उन्होंने ट्विटर पर यह तस्वीरें शेयर की। आप देख सकते हैं इन तस्वीरों में एक बुजुर्ग इंसान नजर आ रहा है जो वर्कआउट कर रहा है। वहीँ इन तस्वीरों में उनकी अपनी पत्नी के साथ एक पुरानी तस्वीर भी है। अब हम आपको बताते हैं इनकी कहानी। जी दरअसल इस कहानी को इंस्टा पेज पर शेयर किया गया है।
"Everyday I look at Manjeet’s picture, hoping she’s proud of me. I didn’t give up, even when I hit rock bottom."https://t.co/qOh91I2FoC #DontGiveUp #workout #fitness #motivation #healthylifestyle #gymlife pic.twitter.com/loWB9rx73h
— Humans Of Bombay (@HumansOfBombay) March 26, 2021
इसमें लिखा है, ‘साल 1999 में जब मेरी पत्नी का देहांत हुआ था तो मेरा दिल टूट गया था। फिर मुझे रिलाइज हुआ कि मैं उसपर कितना ज्यादा निर्भर था। मनजीत (पत्नी का नाम) सबकुछ मैनेज करती थी, पब्लिकेशन हाउस का बिजनेस चलाने से लेकर बच्चे सब। मुझे आज भी हैरत होती है कि वो ऐसा कैसे कर लेती थी। जब वो मुझे छोड़कर चली गई तो मैं उधेड़बुन में था। यहां तक कि कंपनी भी नहीं चल पाई। 50 साल की उम्र में ही मैं हार मान चुका था।’ वहीँ आगे लिखा हैं, ‘मैं डिप्रेशन में था। ज्यादा खाना खाता था। मेरे पास कोई कारण नहीं था। दूसरे और मेरे बच्चे मुझपर दया करते थे, मुझे ये बुरा लगता था। मैं कई सालों तक तो अपने घर से बाहर भी नहीं निकला। यहां तक कि मैं अपने पड़ोसियों को भी नहीं जानता था। मैं खुद को खो चुका था। फाइनली मेरे बच्चों ने मुझे इससे बाहर निकालने में मदद की। वो मुझे स्टेप पर स्टेप बताते गए। जब मैं 60 साल का था तो मैं 30 बरस बाद जॉगिंग पर गया। मुझे सांस चढ़ गया। मैं थक गया। पर मुझे रोज उस पल का इंतजार रहने लगा। मैं जिंदगी में छोटे-छोटे गोल बनाए, जैसे बिना रूके 2 किलोमीटर दौड़ना। फिर मैंने 1500 मीटर मैराथन में भी भाग लिया। ये सीनियर सिटीजन कैटेगरी की थी। मैंने सोचा था मैं जीतूंगा पर मैं 5वें स्थान पर आया। ये ही मेरा टर्निंग प्वाइंट था। मुझे जीतना था।’
इसी के साथ आगे लिखा है, ‘मैं सुबह पांच बजे उठता था और खुद को दौड़ने के लिए पुश करता था। एक साल में ही मैं 15 से 20 किलोमीटर एक बार में दौड़ने लगा। फिर मैंने 10 किलोमीटर वाली मैराथन में भाग लिया। जहां मैं अपने से आधी उम्र के लोगों के साथ दौड़ रहा था। वहां लोगों ने मुझे कहा कि अंकल आपका यहां आना हमें इंस्पायर कर रहा है। मैंने कहा मैं यहां जीतने आया हूं। और मैं दौड़ा। मुझे याद है मनजीत और मैं वहां जीतने के लिए ही गए थे। मैंने वहां पहला प्राइज जीता। 66 साल की उम्र में मैंने जिम ज्वाइन की। सब मेरी तरफ देखते रहे। सबने सोचा मैं रिटायरमेंट इन्जॉय करूंगा। मैं सुबह 5 से 8 जिम जाता। फिर अपने बच्चों के साथ नए बिजनेस में मदद करता। शाम को 7 से 10 फिर जिम जाता। मैंने जिम में एकसाथ 584 पुशअप मारने का रिकॉर्ड भी बनाया। यहां तक कि ऑनर भी कहता था सर हम आपको अपना ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहते हैं।’
आगे कहानी बताते हुए लिखा गया है, 'आज मैं 75 साल का हूं। इतना फिट मैं कभी भी नहीं रहा। अपने बेटों के साथ कपड़ों की एक कंपनी चलाता हूं। रोज मैं मनजीत की तस्वीर को देखता हूं। क्योंकि रोज ही मैं उस जैसा मजबूत बनना चाहता हूं। देखो मनजीत, हालात चाहे जितने भी बुरे रहे पर मैंने हार नहीं मानी।' इस कहानी को पढ़कर आपको भी एक मोटिवेशन मिला होगा यह तो तय है।
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