अपने ही देश में शरणार्थी हुए ये 40 हज़ार लोग, बेहद ख़राब हालात में जीने को मजबूर
अपने ही देश में शरणार्थी हुए ये 40 हज़ार लोग, बेहद ख़राब हालात में जीने को मजबूर
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इंदौर: ब्रू (रियांग) जनजाति के 40 हजार वैष्णव हिन्दू परिवार अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में रहने के लिए विवश हैं। हालात यह है कि इन परिवारों को नदी, नालों के पास, कच्ची जमीन पर बेहद ख़राब हालात में गुजरा करना पड़ रहा है। ब्रू जनजाति के लोगों की इन्हीं समस्या को महसूस करने के लिए इंदौर के 70 लोग मिजोरम दौरे पर गए थे और इंदौर वापस लौटकर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए।

अब उनके अनुभवों को पत्रों के जरिए देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया जा रहा है। पंजाब अरोड़वंशीय धर्मशाला में इसी को लेकर पत्र लेखन का कार्यक्रम आयोजित किया गया और इंदौर से वहां गए लोगों ने अपने अनुभव शेयर किए। मिजोरम से लौटे प्रवीण शर्मा ने बताया है कि वहां की स्थिति इतनी खराब है कि जीना भी मुश्किल है। जो लोग वर्षों पूर्व सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे आज उनका सब कुछ छिन चुका है।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये लोग अपनी बात भी सरकार और सर्वोच्च न्यायालय तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। श्याम सिलावट ने बताया है कि इनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, इनके घरों में खाने को नहीं है और ये लोग भीख मांगकर जीवन यापन करने को विवश हैं। अनिल टांक ने बताया कि शीर्ष अदालत लगातार सरकार को इस मामले में समाधान निकालने का आदेश दे रहा है, किन्तु इन लोगों की समुचित मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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