2024 तक मैनेजर्स की जगह लेगी यह रोबोट, खतरे में पड़ी नौकरी
2024 तक मैनेजर्स की जगह लेगी यह रोबोट, खतरे में पड़ी नौकरी
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आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) जैसी नई तकनीकें रोजमर्रा के काम आसान कर सकती है । इसके अलावा रिसर्च एवं एडवाइजरी फर्म गार्टनर की एक रिपोर्ट में ऐसी बात कही गई है। इसके अनुसार , एआई, वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट और चैटबॉट्स जैसी उभरती हुई नई तकनीकें 2024 तक प्रबंधकों के काम के बोझ के 69 फीसदी तक कम कर सकती है । गार्टनर के उपाध्यक्ष (रिसर्च) हेलेन प्वाटेविन ने कहा कि इन तकनीकों की बदौलत अगले चार साल में प्रबंधकों की भूमिका में बड़ा उलटफेर देखने को मिलेगा। वही उनका कहना है कि वर्तमान में फॉर्म भरने, जानकारी अपडेट करने और वर्कफ्लो को मंजूरी देने में ही मैनेजरों का काफी समय निकल जाता है। अगर इन कार्यों को एआई के जरिए किया जा सकता है तो प्रबंधकों को नई चीज सीखने, प्रदर्शन को बेहतर करने और नए लक्ष्यों का निर्धारण करने में अधिक समय मिल पाएगा।

एआई का सफलता से हो रहा इस्तेमाल
गार्टनर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2023 तक एआई और नई उभरती तकनीकों के कारण कामकाज में आने वाली बाधाएं दूर हो सकती है । इससे दिव्यागों की नियुक्तियों में तीन गुना की वृद्धि होगी। प्वाटेविन ने कहा कि कई संस्थान एआई का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रही हैं ताकि खास जरूरत वाले लोगों के लिए काम आसान हो सके।

दिव्यांगों को नौकरी नहीं दी तो पीछे छूट जाएंगे
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर कौशल से भरपूर कर्मचारियों की कमी है। इसके अलावा संस्थान पिछले कई वर्षों से प्रतिभाओं की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में जिन संस्थानों ने दिव्यांगों को नौकरी पर नहीं रखा तो अपने प्रतिद्वंद्वी से पीछे छूट जाएंगे। गार्टनर का अनुमान है कि दिव्यांगों को सक्रिय रूप से रोजगार देने वाले संस्थानों में कर्मचारियों के बने रहने (रिटेंशन) की दर 89 फीसदी अधिक है। साथ ही ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों की उत्पादकता में 72 फीसदी और लाभप्रदता में 29 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

कर्मियों को प्रभाव बढ़ाने में मिलेगी मदद 
रिपोर्ट के अनुसार , एआई और उभरती नई तकनीकें निश्चित तौर पर प्रबंधकों की भूमिकाओं में परिवर्तन लाने  के साथ कर्मचारियों की अपनी जिम्मेदारियां और प्रभाव बढ़ाने में मदद कर सकती है । इसमें आगे कहा गया है कि रेस्टोरेंट्स एआई रोबोटिक्स वाली तकनीक लागू कर रहे हैं जिससे लकवा से पीड़ित कर्मचारी भी रोबोटिक वेटरों को रिमोट लोकेशन से भी नियंत्रित कर सकें। इसके साथ ब्रेल रीडर्स और वर्चुअल रियलटी जैसी तकनीकों के कारण संस्थान विस्तृत श्रमबल को नौकरी देने के लिए तैयार हो रहे हैं। 

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