कांचीपुरम, वेल्लोर से आज़ाद कराए गए 42 बंधुआ मजदूर, अधिकांश बच्चे शामिल
कांचीपुरम, वेल्लोर से आज़ाद कराए गए 42 बंधुआ मजदूर, अधिकांश बच्चे शामिल
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चेन्नई: सरकार तो हमेशा से दावा करती रही है कि देश से बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिला दी गई है, किन्तु आज भी देश के कुछ हिस्सों से इसकी खबरें आती रहती हैं। तमिलनाडु के कांचीपुरम और वेल्लोर जिला से 42 बंधुआ मजदूरों को लकड़ी काटने वाली फैक्ट्री से बुधवार को छुड़ाया गया। इस काम को एक एनजीओ की सहायता से अंजाम दिया गया। पीड़ितों ने भूख से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।

मजदूरों को लेकर काम करने वाली एक संस्था (एनजीओ) की सूचना के आधार पर कांचीपुरम और वेल्लोर के उपजिलाधिकारियों ने लड़की काटने वाली फैक्ट्री का निरिक्षण किया। दोनों ही अधिकारी वहां की वास्तविक स्थिति देखकर हैरान रह गए। केवल कांचीपुरम से 28 लोगों को आजाद कराया गया। इनमें आठ परिवार के 19 बच्चे शामिल थे। इन्हें मुक्त कराने के बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी गई। इन मजदूरों में दो से 15 वर्ष के आयु के मजदूरों की तादाद सर्वाधिक थी। इन्हें नौ हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक एडवांस के तौर पर दिए गए थे। 

इसके अतिरिक्त वेल्लोर के पारुवामेदू गांव से 14 बंधुआ मजदूरों का आजाद कराया गया। इनमें पांच परिवार के छह बच्चे शामिल थे। पीड़ितों ने फैक्ट्री के मालिक पर भूख से प्रताड़ित करने का इल्जाम लगाया है। साथ ही अधिकारियों के खिलाफ भी जमकर भड़ास निकाली। सभी पीड़ितों को बंधुआ मजदूरी से आजाद कराने के बाद फैक्ट्री मालिक के खिलाफ तफ्तीश चल रही है।

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