रोज 40  मिनट करे ॐ का जाप
रोज 40 मिनट करे ॐ का जाप
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शिवपुराण की तरह अन्य हिन्दू धर्मशास्त्रों में भी प्रणव यानी ऊं ऐसा अक्षर स्वरूप साक्षात् ईश्वर माना जाता है और मंत्र भी. इसलिए यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है. धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है. यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत माना गया है.

सुखासन में बैठकर चालीस मिनट प्रतिदिन ऊं का जप किया जाए तो सात दिन में ही अपनी प्रकृति में बदलाव आता महसूस होने लगता है. छह सप्ताह में तो पचास प्रतिशत तक बदलाव आ जाता है. ये लोग उन दो प्रतिशत लोगों में शुमार हो जाते हैं , जो संकल्प कर लें तो अपने से पचास गुना ज्यादा लोगों की सोच और व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं.

सुखासन में बैठकर मंत्र जप करने से या विधिवत जाप  करने से उसके कामयाब होने के लक्षण दिखार्ई देने लगते हैं. वे लक्षण यह है कि मंत्र जिस देवता की आराधना में है, उसकी विशेषताएं साधक में दिखाई देने लगती हैं.

धार्मिक दृष्टि से परब्रह्म या महेश्वर स्वरूप भी नव या नया और पवित्र माना जाता  है. प्रणव मंत्र से उपासक नया ज्ञान और शिव स्वरूप पा लेता है. इसलिए भी यह प्रणव कहा गया है.

 

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