33 सप्ताह की गर्भवती ने मांगी गर्भपात की इजाजत, दिल्ली हाई कोर्ट करेगी फैसला
33 सप्ताह की गर्भवती ने मांगी गर्भपात की इजाजत, दिल्ली हाई कोर्ट करेगी फैसला
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 33 हफ़्तों की गर्भवती महिला के गर्भपात की इजाजत मांगने वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। दिल्ली उच्च न्यायलय ने मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट और विशेषज्ञ डॉक्टरों की दलीलें सुनने के बाद महिला की याचिका स्वीकार कर ली है। मेडिकल रिपोर्ट में अदालत को बताया गया है कि भ्रूण मस्तिष्क संबंधी विकृति से पीड़ित है, जिस वजह से कोर्ट से महिला के 33 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी गई है। 

बता दें कि, इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 वर्षीय एक महिला की उस याचिका पर सोमवार (5 दिसंबर) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें उसने भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी कुछ असामान्यताएं (विकार) होने की वजह से 36 हफ्ते के अपने गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा है कि, इसमें एक नैतिक चिंता है, जिसपर कोर्ट सोच रही है और वह प्रौद्योगिकी के साथ है। आज की तारीख में कई असामान्यताओं का पता लगाना वाकई सरल है। हम (इस मामले में) गर्भ की करीब- करीब पूर्णावधि बात कर रहे हैं।

जस्टिस सिंह ने सवालिया लहजे में कहा कि, मैं इस विषय पर कोई दृष्टिकोण नहीं रख रही हूं, मगर मैं बस यह कह रही हूं कि हम एक ऐसा समाज देख रहे हैं, जिसे केवल स्वस्थ बच्चे चाहिए? अगर साधन उपलब्ध हो, तब क्या माता-पिता के पास ऐसा विकल्प होना चाहिए कि वे बच्चे नहीं चाहते हैं।

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