भ्रूण को है गंभीर बीमारी, 23 हफ्ते की गर्भवती ने दिल्ली HC से मांगी गर्भपात की अनुमति
भ्रूण को है गंभीर बीमारी, 23 हफ्ते की गर्भवती ने दिल्ली HC से मांगी गर्भपात की अनुमति
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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला के 23 हफ्ते के गर्भ के एबॉर्शन को लेकर दाखिल की गई याचिका पर शुक्रवार को केजरीवाल सरकार और एम्स को नोटिस जारी करते हुए जवाब माँगा है. इस महिला की याचिका के मुताबिक, गर्भ में पल रहे भ्रूण में गंभीर किस्म की विकृतियां है. चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने दिल्ली सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को नोटिस जारी करते हुए महिला की याचिका पर जवाब देने के लिए कहा है. 

बेंच ने महिला की जांच करने के बाद AIIMS को 13 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट को देने का निर्देश दिया है. इस मामले में अब 14 जुलाई को सुनवाई की जाएगी. महिला ने वकील स्नेहा मुखर्जी के माध्यम से दाखिल की गई याचिका में बताया है कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को ‘स्पाइना बिफिडा और आर्नोल्ड चिरी सिंड्रोम’ नामक बिमारी है, जिससे रीढ़ की हड्डी का विकास उचित तरीके से नहीं होता और मस्तिष्क का ऊतक रीढ़ की नाल तक बढ़ जाता है.

याचिका में कहा गया है कि अल्ट्रासाउंड की रिपोर्टों के मुताबिक, भ्रूण के मस्तिष्क में विकृत्ति है और उसे दिल से संबंधित बीमारी भी है. इसमें कहा गया है कि इन असामान्यताओं की वजह से बच्चे का जन्म के बाद जिन्दा रहना बेहद कठिन है. याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि गर्भावस्था जारी रहती है, तो इससे महिला को अपूरणीय शारीरिक और मानसिक क्षति होने की आशंका है. बता दें कि भारत में एबॉर्शन, कानूनी रूप से वैध है. हालांकि, कानूनी तौर पर, गर्भधारण के सिर्फ 20 हफ्ते तक ही गर्भपात कराया जा सकता है.

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