श्रीकृष्ण ने पांडवों को बताया था अनंत चतुर्दशी का महत्व
श्रीकृष्ण ने पांडवों को बताया था अनंत चतुर्दशी का महत्व
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अनंत चतुर्दशी आने में अब कुछ ही समय बचा है. आप सभी जानते ही होंगे इस बार अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर को है. जी दरअसल अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का समापन होता है. वहीँ आप इस बात से भी वाकिफ ही होंगे कि इस दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान श्रीकृष्ण के बारे में जिन्होंने पांडवों को इस दिन व्रत रखने और अनंत भगवान की पूजा करने का महत्व बताया था. इसके विषय में एक कथा है. आइए जानते हैं.

श्रीकृष्ण बताया था इसका महत्व : पांडवों द्वारा जुए में अपना राजपाट हार जाने के बाद उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा था कि दोबारा राजपाट प्राप्त हो और इस कष्ट से छुटकारा मिले इसका उपाय बताएं तो श्रीकृष्‍ण ने उन्हें सपरिवार सहित अनंत चतुर्दशी का व्रत बताया था. उन्होंने कहा था कि चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं. अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था. इनके ना तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे. यह सुनकर युधिष्ठिर ने अपने परिवार सहित इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा अर्चना की थी, जिसके चलते उन्हें अपना राजपाट पुन: मिल गया था.

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है. इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है. इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बाँधने का नियम है. जी दरअसल भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है और अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन किया गया है.

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