नई दिल्ली: धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002 – PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बुधवार (23 फरवरी) को सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि भारत के भगोड़े व्यापारियों से 18,000 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है। केंद्र ने बताया कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या, डायमंड व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से ये रकम वसूली गई है।
इस कानून के प्रावधानों की अहमियत बताते हुए केंद्र के वकील ने शीर्ष अदालत में कानून का बचाव किया। मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच ने की। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि भारत ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का हिस्सा है और ऐसे कई समझौते हैं, जिनमें तमाम सदस्य देशों को अपने संबंधित धन शोधन कानून को एक दूसरे के अनुरूप लाने की जरूरत होती है। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के मामलों में इनकी संपत्तियों को जब्त किया गया और उन्हें बेचकर बैंकों के 18,000 करोड़ रुपए वापस किए गए। तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 4,700 PMLA मामलों की जाँच की जा रही है और कोर्ट में 67,000 करोड़ रुपए के मामले पेंडिंग हैं। इनमें 313 आरोपितों को अरेस्ट किया गया है।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2015-16 में इसके 111 मामले थे, जबकि 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 981 पर पहुँच गई। पिछले पाँच सालों (2016-17 से 2020-21) में ऐसे अपराधों के लिए 33 लाख प्राथमिकियां दर्ज हुईं हैं, मगर इनमें से सिर्फ 2,086 को जाँच में शामिल किया गया है। केंद्र ने बताया कि भारत में इस प्रकार के केस जाँच के लिए बहुत कम उठाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यूनाइटेड किंगडम (UK) में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हर साल 7,900 केस, अमेरिका में 1,532, चीन में 4,691, ऑस्ट्रिया में 1,036, हॉन्गकॉन्ग में 1,823, बेल्जियम में 1,862 और रूस में 2,764 केस दर्ज किए जाते हैं।
बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करते हुए PMLA कानून के तहत अपराध की आय की तलाशी, जब्ती, जाँच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारों को चुनौती दी गई है। इसको लेकर कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के PMLA संशोधनों के संभावित गलत इस्तेमाल से संबंधित दलीलें दी हैं।
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