150 परिवारों के सामने खड़ी हुई सियासती धर्म की दीवार, धर्म परिवर्तन कर फिर मुस्लिम बने दलित
150 परिवारों के सामने खड़ी हुई सियासती धर्म की दीवार, धर्म परिवर्तन कर फिर मुस्लिम बने दलित
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नई दिल्ली : हिंदुस्तान के बाशिंदों के नसीब में न जाने क्या लिखा है शायद इसे खुदा भी बाचना नहीं चाहता। हर ओर धर्म की सियासत से रंगी हुई दीवारें खींच जाती हैं। कभी कोई इस धर्म में आ जाता है तो फिर किसी को रस्सी की तरह खींच लिया जाता है। ऐसा ही जंतर - मंतर पर धरना दे रहे भगाना कांड के पीडि़तों के साथ हुआ है। दरअसल 3 वर्षों से इंसाफ की मांग कर रहे लोगों को धर्म की रस्सी खेंच झेलनी पड़ रही है। दरअसल वे हाल ही में हिंदू से मुस्लिम बन गए हैं। अब इनमें मौजूद राकेश और रितू कोई मुस्लिम नाम तलाश रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि जंतर-मंतर पर बीते 3 वर्षों से इंसाफ की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है। भगाना कांड के पीडि़तों द्वारा इस्लाम कबूल लिया गया है। तो पीडि़तों का कहना था कि 21 मई 2012 को हरियाणा के हिसार जिले में भगाना गांव में दबंगों ने इनका जीना दुश्वार कर दिया था। इन दबंगों को गांव से निर्वासित होना पड़ा तो बेटियों के साथ दुष्कर्म का सामना करना पड़ा। 

अब तक दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में अध्ययन करने वाली मोनिका बाबुरी ने इस्लाम धर्म अपना लिया है। अब वह सिर पर दुपट्टा ओढ़ने का सलीका सीख रही है। इस लडकी को अब इस्लाम के अनुसार ही जीना होगा। उसके लिए हिंदू मंदिरों में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। हालांकि 150 दलितों के लिए महापंचायत हुई जिसमें धर्म परिवर्तन को गलत ठहराया गया। इस दौरान इनके धर्म परिवर्तन को गलत बताया गया। दलित इस्लाम छोड़कर फिर हिंदू बन गए। जिसका जमकर स्वागत किया गया। 

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