कहाँ गया दिल्ली का पैसा ? 4 सालों से 12 कॉलेजों में वेतन का संकट, कोई सुनने वाला नहीं
कहाँ गया दिल्ली का पैसा ? 4 सालों से 12 कॉलेजों में वेतन का संकट, कोई सुनने वाला नहीं
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नई दिल्ली: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के अधीन आने वाले दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में 'वेतन में कटौती' का मुद्दा बड़ा होता जा रहा है। कॉलेज का नोटिस मीडिया में आने के बाद से भाजपा ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और दिल्ली सरकार के 'रेवड़ी मॉडल' को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। अब दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (DUTA) के प्रमुख और पूर्व प्रमुख ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि दिल्ली के 12 कॉलेजों में यही स्थिति है और काफी समय से वेतन में कटौती हो रही है, वक़्त पर पेमेंट नहीं किया जा रहा है।

DUTA चीफ एके बाघी ने तो यहां तक कह दिया है कि केंद्र सरकार को इन कॉलेजों को अपने नियंत्रण में ले लेना चाहिए। हालांकि, ऐसा करने से केजरीवाल केंद्र सरकार से नाराज़ हो सकते हैं। एके बाघी ने कहा कि, 'फंड की किल्लत की वजह से दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में 2 वर्षों से शिक्षकों के वेतन में कटौती हो रही है। हमने सीएम केजरीवाल के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। उपमुख्यमंत्री तक गए, मगर किसी ने हमारी नहीं सुनी। हम चाहते हैं कि इन कॉलेजों को केंद्र सरकार अपने नियंत्रण में ले ले।' वहीं, DUTA के पूर्व प्रमुख राजीब रे ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, 'फंड के अभाव में सैलरी में देरी हो रही है। दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज सहित 12 कॉलेजों में बीते 4 वर्षों से शिक्षकों के वेतन में कटौती हो रही है या देरी से भुगतान हो रहा है। एक साल में हमने 4-6 बार इसके लिए विरोध प्रदर्शन भी किया है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। मेडिकल बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा है। नॉन-टीजिंग स्टाफ को भी समस्या हो रही है।'

बता दें कि मीडिया में दिल्ली यूनिवर्सिटी के दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज का एक नोटिस सामने आया है, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर की जुलाई के वेतन में 30 से 50 हजार रुपए तक रोके जाने की बात कही गई है। पैसों की किल्लत का हवाला देते हुए इसमें कहा गया है कि फंड आने के बाद बचा हुआ पैसा दिया जाएगा। बता दें कि 1990 में स्थापित हुए DU की 100 फीसदी फंडिंग दिल्ली सरकार ही करती है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि, हमेशा दिल्ली में राजस्व प्लस में होने का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार के शासन में ऐसी स्थिति क्यों पैदा हो गई है ?

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