लखनऊ: उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने बड़ा फैसला करते हुए जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी। इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति, जबरन, लालच देकर, दबाव बनाकर या अपने प्रभाव में लेकर किसी का धर्म परिवर्तन कराता है तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। यह प्राथमिकी पीड़ित के माता-पिता, भाई-बहन या कोई भी रक्त या विवाह संबंधी और गोद लिया हुआ शख्स करा सकता है।
इस बिल में जबरन धर्मांतरण पर अलग-अलग श्रेणियों में एक साल से लेकर 10 साल तक की सजा और पंद्रह हजार से लेकर पचास हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अदालत को यह अधिकार दिया गया है कि वह पीड़ित को क्षतिपूर्ति के तहत पांच लाख रुपये तक का हर्जाना देने का आदेश भी दे सकता है। इतना ही नहीं एक से अधिक बार धर्मांतरण से संबंधित अपराध करने पर दोगुनी सजा का प्रावधान है।
कोई शख्स धर्म परिवर्तन अपनी इच्छा से करना चाहता है तो उसे 60 दिन पहले जिलाधिकारी या उनके द्वारा अधिकृत किए गए एडीएम के यहां आवेदन करना पड़ेगा। यदि कोई व्यक्ति या संस्था धर्म परिवर्तन का आयोजन करवा रहे हों, उन्हें एक महीने पहले डीएम या एडीएम को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके बाद जिलाधिकारी के स्तर से पुलिस के जरिए करवाई जाएगी। यदि कोई दबाव बनाकर, लालच देकर या अपने प्रभाव का उपयोग करके जिला प्रशासन को गलत सूचना देकर धर्म परिवर्तन करवाता पाया जाएगा तो यह अवैध और शून्य हो जाएगा।
बेंगलुरु में राष्ट्रीय बागवानी मेला-2021 में उत्तर भारत से किसान लेंगे हिस्सा
अडानी पोर्ट्स का Q3 प्रॉफिट 16 प्रतिशत से बढ़कर हुआ इतने करोड़
अक्टूबर-दिसंबर में मुनाफे में रु. 4010.94 करोड़ से अधिक की होगी वृद्धि