शुक्रवार से नई कंपनी शुरू करना बेहद आसान हो जाएगा. इसके लिए अब केवल एक फॉर्म भरना होगा जबकि अब तक 8 फॉर्म भरने होते थे. सरकार देश में बिजनस को बढ़ाना चाहती है और यह कदम उसी इरादे से उठाया गया है. कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री पहली मई से एक इंटीग्रेटेड कंपनी इनकॉरपोरेशन फॉर्म यूज करेगी ताकि कंप्लायंस और रिपोर्टिंग का मामला कॉरपोरेट्स के लिए आसान हो जाए. मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिशल ने बताया, 'अब नाम की उपलब्धता, डायरेक्ट आइडेंटिफिकेशन नंबर के अलॉटमेंट, कंपनी इनकॉरपोरेशन और बिजनस की शुरुआत के काम एक ही फॉर्म से हो सकेंगे. नया फॉर्म आईएनसी 29 मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर मिलेगा.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वह चाहते हैं कि वर्ल्ड बैंक बिजनस करने में सहूलियत के पैमाने पर दुनियाभर के देशों के बीच जो सर्वे करता है, उसमें भारत दो वर्षों में 50वें पायदान पर आ जाए. वर्ल्ड बैंक ने 2015 में 189 देशों के बीच भारत को 142वें स्थान पर रखा है. यह इससे पिछले साल से दो पायदान नीचे की पोजीशन है. 2006 में जब यह इंडेक्स लॉन्च हुआ था, तो भारत की रैंक 116 थी. बिजनस शुरू करने में आसानी के मामले में 2015 में इंडिया की रैंकिंग 158 रही. यह भी पिछले साल से दो स्थान कम थी. अभी नई कंपनी रजिस्टर कराने के लिए अनिवार्य रूप से 8 फॉर्म भरने होते हैं. इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है.
अगर एक व्यक्ति की ही कंपनी हो तो भी डीआईएन, डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट, कंपनी के नाम की मंजूरी से जुड़े फॉर्म आईएनसी-1, मेमोरंडम ऑफ असोसिएशन और आर्टिकल्स ऑफ असोसिएशन के साथ कंपनी के रजिस्ट्रेशन से जुड़े फॉर्म आईएनसी-7, रजिस्टर्ड ऑफिस के लिए फॉर्म आईएनसी-22 और हर डायरेक्टर के लिए फॉर्म डीआईआर 12 को भरना ही होता है. उद्यमी लंबे समय से यह शिकायत करते रहे हैं कि भारत में कारोबार शुरू करने में काफी दिक्कतें होती हैं. उनका कहना रहा है कि कई स्टार्टअप्स तो भारत के बजाय सिंगापुर में रजिस्ट्रेशन कराना आसान समझती हैं.
ऐसी दिक्कतें शुक्रवार से काफी कम हो जाएंगी, जब एक ही फॉर्म के जरिये कंपनी का रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा किया जाने लगेगा. कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री को कंपनीज एक्ट 2013 और कॉरपोरेट सेक्टर को रेगुलेट करने वाले दूसरे कानूनों के एडमिनिस्ट्रेशन का जिम्मा दिया गया है. मिनिस्ट्री कंपनी के इनकॉरपोरेशन की प्रक्रिया को आसान बनाने पर काम कर रही थी.लोकसभा में हाल में पास हुए कंपनीज (अमेंडमेंट) बिल 2014 में 2013 के कुछ प्रावधानों को हटाने की बात है ताकि देश में निवेश का माहौल बेहतर किया जा सके.