जिन्द़गी कुछ कम सी है

आज की रात़ तन्हा नम सी है! जिस्म में जिन्द़गी कुछ कम सी है! ख्वाब बेशुमार हैं फिर जागे हुए,  पलक में चाहत भी शबनम सी है!

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