जिन्द़गी को कोई इल्जाम न दो

मेरी उल्फत़ को अभी कोई नाम न दो! मेरी जिन्द़गी को कोई इल्जाम न दो! बहके हुये इशारों से तड़पाओ न मुझे, सुलगे हुये इरादों की कोई शाम न दो!

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