जिन्दगी कितनी अच्छी थी

जिन्दगी कितनी अच्छी थी हम भी सच्चे थे बहुत ही बेहतर थे जब हम बच्चे थे  अब जब से दुनिया की दुनियादारी में आगए लगता है हर ख़ुशी पे ग़म के बादल छा गए बस भागम भाग है और कुछ भी तो नहीं है जिन्दगी की किस भूल भुलैया में आ गए सोचते सोचते यही के अब निकलेंगें बाहर और अन्दर और अन्दर बस अन्दर समा गए

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