मैं तेरे ख्याल़ में जमाना भूल जाता हूँ! अपनी जिन्द़गी का ठिकाना भूल जाता हूँ! जाम की महफिलों में लड़खड़ाता हूँ इसतरह, अपने आशियाने में आना भूल जाता हूँ!