ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम

फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम; प्यार में झलकता जाम हो तुम; सीने में छुपाये फिरते हैं चाहत तुम्हारी; तभी तो मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम।

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