ज़िन्दगी का क़र्ज़ चुकाने के वास्ते...

खुशबू का, रंग-ओ-नूर का, मौसम है ज़िन्दगी, लेकिन गुलों की तरह, बहुत कम है ज़िन्दगी, ज़िन्दगी का क़र्ज़ चुकाने के वास्ते, सौ साल भी जियें तो, बहुत कम है ज़िन्दगी...

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