यूँ तो मुद्दते गुजार दी मैंने

यूँ तो मुद्दते गुजार दी मैंने कुछ रिश्ते निभाने में! जिन्दगी बीता दी यूँहीं चन्द कागज कमाने में!! कड़ी धुप में चलता रहा बस इस यकीं के साथ! मै जलूँगा तो रौशनी आएगी मेरे आशियानें में!! एक ही ख्वाहिस रखी हमने अपनों का दिल न टूटे! पर अक्सर मेरा दिल टुटा इनके दिलों को सजाने में!! तूफानों को हँस कर झेलता रहा चट्टानों की तरह! वर्ना लोग तिनकों सा बिखर जाते है एक घर बनाने में!! लहू बेच- कर बड़ी मुश्किलों से जिसको पाला मैंने! मुझे भूखा छोड़ वह व्यस्त हो गया खुद के कमाने में!! सच कहा किसी ने नहीं आता मूझे मजा व्यापार करने मे, अपनी खुशियाँ बेच दी , अपनों के गम मिटाने में!! इस जहाँ में खुशिओं का कोई पैमाना नहीं मुकर्रर! कोई खुश खरीद खिलौना, कोई खुश उसके बिक जाने में!! कब्रगाह देखकर हँसी आती है, क्यों परेशान था मै! ना-समझ, मात्र दो गज जमीं लगती है दफ़नाने में!! तू रोता आया था इस भूल भुलैया में नग्न ही! शख्सियत खप गयी तेरी बस एक कफ़न कमाने में!!

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