यूँ हर जगह रहता हूँ

तुम्हारे साथ आजकल  यूँ हर जगह रहता हूँ मैं हद से ज्यादा सोचू तुम्हें  बस यही सोचता हूँ मैं पता नहीं हमारे दरमियान  यह कैसा रिश्ता है लगता है के सालों पुराना अधूरा कोई किस्सा है तुम्हारी तस्वीरों में मुझे  अपना साया दिखता है महसूस करता है जो यह मन  वही तो लिखता है तुम्हारी आवाज़ सुनने को  हर पल बेक़रार रहता हूँ नहीं करूँगा याद तुम्हें मैं  खुद से हर बार ये कहता हूँ नाराज़ ना होना कभी  बस यही एक गुज़ारिश है महकी हुई इन साँसों की साँसों से सिफ़ारिश है बदल जाए चाहे सारा जमाना पर बदलना न तुम कभी "प्राची" ख़्वाबों के खुशनुमा शहर में  मिलने आना तुम कभी...।।

Related News