आप आपने धैर्य द्वारा बड़े से बड़े रोग को भी कर सकते है ख़त्म

नालंदा विशवविधालय के महान आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता इनकी नीतियों का अनुशरण करके कई लोगो ने अपने लक्ष्य को बखूबी प्राप्त किया साथ ही अपने जीवन को कम से कम परेशानियों के साथ व्यतीत किया आचार्य चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 साल पूर्व हुआ था। इन्होने हमें वह ग्रन्थ दिया जिसकी जरुरत सम्पूर्ण मानव को थी। आज सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व के सभी देशो में इनके ग्रन्थ की नितियो को अपनाया जा रहा है,तो आइये हम भी आपको चाणक्य के महाँन ग्रन्थ ‘चाणक्य निति’ में निहित कुछ नियमो और उनके द्वारा दी गयी सीख के बारे में बताते है।  1. चाणक्य का मानना था की यदि आप धैर्य रखते हो तो आपको चाहे कितना भी भयंकर रोग हो आप उससे आसानी से छुटकारा पा सकते है इसी प्रकार दुनिया की कोई भी परेशानी को धैर्य रखकर ख़त्म की जा सकती   है।   2. वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते     है।  3. शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।  4.  एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते है। 5.  जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य। 6.  लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए। 7.  यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।  8.  कल के मोर से आज का कबूतर भला।  अर्थात संतोष सब बड़ा धन है।  9.  आग सिर में स्थापित करने पर भी जलाती है। अर्थात दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।  10.  अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है। 11. सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य        पड़ता है।  12.  ढेकुली नीचे सिर झुकाकर ही कुँए से जल निकालती है। अर्थात कपटी या पापी व्यक्ति सदैव मधुर वचन     बोलकर अपना काम निकालते है।  13. किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब न करें। 14. पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें। 15. जिसकी आत्मा संयमित होती है, वही आत्मविजयी होता है।

 

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