योगी हुए 44 के, कैसा रहा महंत बनने से लेकर मुख्यमंत्री पद तक का सफर

आज योगी आदित्यनाथ के नाम को कौन नहीं जानता है. यह नाम आज जहाँ एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सामने आता है तो वही हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए इस नाम के झंडे लहराए जाते है. मालूम हो कि योगी ने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भाजपा की जीत के साथ ही यूपी के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली. इसके अलावा वे 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद भी चुने जा चुके है. योगी जहाँ एक तरफ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं तो वही हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं. छवि की बात करे लो इन्हे एक कट्टर हिन्दू नेता के रूप में जाना जाता है.

योगी का शिक्षा सफर : योगी का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव के एक गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था . पिता आनन्द सिंह बिष्ट एक फॉरेस्ट रेंजर थे तो वही माता सावित्री देवी है. योगी के तीन बड़ी बहनों, एक बड़ा भाई और दो छोटे भाई हैं. पढाई के बारे में जानकारी दे तो बता दे की 1987 में दसवीं की परीक्षा, 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा और 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ ही योगी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े.

इसके अलावा 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से आदित्यनाथ ने गणित में Bsc की परीक्षा उत्तीर्ण की. 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने योगी गोरखपुर पहुंचे, जहाँ ये महंत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली. 1994 में पूर्ण संन्यासी बनने के साथ ही इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया. गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के 12 सितंबर 2014 को निधन के बाद योगी को यहाँ का महंत बनाया गया. इसके 2 दिन बाद ही योगी को नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया.

राजनैतिक सफर : 1998 में योगी ने गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की. तब ये बारहवीं लोक सभा के सबसे युवा सांसद थे. इसके बाद 1999 में योगी को गोरखपुर से पुनः सांसद के रूप में चुना गया. अप्रैल 2002 में योगी के द्वारा हिन्दू युवा वाहिनी बनायी गई. 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीतकर इन्होने अपनी विजय पताका लहराई. 2009 के दौरान इन्हे 2 लाख से भी अधिक वोटों से जीत प्राप्त हुई और ये लोकसभा पहुँच गए.

इसके उपरांत योगी को 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली और ये सांसद चुने गए. 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान योगी से उत्तर प्रदेश में काफी प्रचार करवाया गया. फिर 19 मार्च 2017 को बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता यहाँ का मुख्यमंत्री बनाया गया.

विवादों से नाता : योगी आदित्यनाथ का विवादों से भी बहुत पुराना नाता रहा है. जैसे, 7 सितम्बर 2008 को योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था. इसके बाद गोरखपुर दंगों के दौरान मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गयी थी, तब इन्हे गिरफ्तार होना पड़ा था. योगी ने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की और शहर के बीच में श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की लेकिन जिलाधिकारी के द्वारा अनुमति नहीं मिली. योगी ने तब हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ़्तारी दी.

यहाँ आदित्यनाथ को सीआरपीसी की धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत जेल भेज दिया गया. बात करे इसके बाद की तो मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंकने की खबरे भी सामने आई जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा. इसके अलावा योगी धर्मांतरण के खिलाफ और घर वापसी के लिए काफी चर्चा में रहे. वर्ष 2005 के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर 1800 ईसाइयों का शुद्धीकरण कर हिन्दू धर्म में शामिल कराया था. इसके अलावा योगी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर भी काफी चर्चा मे रहे.

फ़िलहाल की बात करे तो योगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है. और लोगो के द्वारा भी इस मुख्यमंत्री ने नए चेहरे को काफी पसंद किया जा रहा है. भगवा धारी यह मुख्यमंत्री जहाँ अपनी पहचान एक कटटर हिन्दू के रूप में बना चूका है तो ऐसे में राज्य में हर धर्म के लोगो के होने के बाद भी अपने धर्ममार्ग से नहीं भटक रहा है और हर धर्म को सम्मान देते हुए अपने मुख्यमंत्री पर की गरिमा बनाए हुए है.

हितेश सोनगरा

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