यह जान तू तब पायेगा

सब यंत्र है जब पूरे, कर ले काम है जितने भी अधुरे काम है भी क्या,"मैं कौन हूँ"जानना , दुनियां सराय है यह मानना । यन्त्री कौन है इन शरीर रूपी यन्त्रों का, यह जान तू तब पायेगा जब शंवास-शंवास को व्यर्थ मे न गवा, प्रभु सिमरन मे लगायेगा।

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