नारा मेक इन इंडिया नहीं मेक फोर इंडिया होना चाहिए - येचुरी

नई दिल्ली : माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि सरकार की विदेशी निवेश को आकर्षित करने और कोरपोरेट को करों में भारी छूट देने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी क्योंकि इससे उत्पादन क्षमता पैदा नहीं होगी और लोगों के पास क्रय शक्ति नहीं है। येचुरी ने अपने बयान में कहा कि मोदी सरकार की नीतियों ने विपक्षी दलों को एक साथ होने का अवसर दे दिया है क्योंकि यह भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पैदा की गयी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही है और इसने जो कदम उठाए हैं उनसे स्थिति और खराब हो गयी है।

हाल ही में माकपा के महासचिव पद पर चुने गए वरिष्ठ नेता ने "मेक इन इंडिया" नारे को लेकर सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि ‘‘नारा मेक फोर इंडिया " होना चाहिए था जिसका मतलब भारत द्वारा और भारत के लिए है। माकपा नेता येचुरी ने कहा, " नीतियां काम नहीं आ सकती। मैं आपको इसका कारण बताउंगा। आप अधिक विदेशी निवेश आकषिर्त करने के लिए छूट दे रहे हैं। आप अधिक निवेश करने के लिए भारतीय कोरपोरेट को भी छूट दे रहे हैं।’’

येचुरी ने पीटीआई. भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, "सरकार जो तर्क देती है और यही तर्क पूर्व में मनमोहन सिंह सरकार ने भी दिया था कि बड़े पैमाने पर निवेश से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और उससे अर्थव्यवस्था में काफी वृद्धि होगी। लेकिन इस तर्क में एक बड़ी भारी खामी है , इसलिए यह काम नहीं कर सकता।" उन्होंने कहा कि यदि यह निवेश आता भी है तो यह केवल "तभी सार्थक होगा जब यह उत्पादन सेक्टर में आए। ऐसा न हो कि यह भारत में उत्पादन क्षमताओं का सृजन किए बिना हमारे संसाधनों को लूटने और अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए आए।"

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