ये गुस्ताख नजर झुकती नहीं

उनकी निगाहों में क्या कशिश है कि ये गुस्ताख नजर झुकती नहीं दिल तो थम जाता है मगर ये कमबख्त धड़कन रूकती नहीं उनकी बातों में कुछ नमी सी है उसे देखकर लगता है जेसे मेरी जिंदगी में उसकी कमी सी है वो इकरार करे ये जरूरी भी नहीं पलभर की जुदाई कोई दुरी तो नहीं चाँद उतर कर आया है जेसे फलक से जमीं पर खुदा का नूर आज निसार हुआ है हमीं पर वो हमसे नाराज ही सही ये प्यार कोई मजबूरी तो नहीं

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