यहाँ ज़ुल्फ़ों की शाम है

शिर्क़त हमारी बज़्म में करके तो देखिये,  नज़रों के ज़ाम हैं यहाँ,ज़ुल्फ़ों की शाम है !! खिलते हुए गुलाब है,बिखरा हुआ शबाब,  बेहिज़ाब हुस्न के लिये,यहाँ परदा हराम है !! बिन पिए चढ़ता नशा,है मय़खाने में यहाँ,  जब ख़न-ख़नाती चूड़ियाँ,टकराते ज़ाम हैं !! देता किसी की प्यास में,कोई नहीं दखल,  सबकी जुदा है तिश्नगी,दिलकश पयाम हैं !! महफ़िल में आकर देखिये,शरमाईये नहीं,  आपकी खिदमत में हुजूर ,हर इन्तज़ाम है !! चाँद-तारे हैं अगर तो,यहाँ पे आफताब है, "वीरान" को गुलशन यहाँ,करता सलाम हैं !! 

Related News