यादों की नदिया बहने लगी दिल के झरने से निकलने लगी अश्को से लेकर आब देखो मंजिल की तरफ बढ़ने लगी कहाँ है मंजिल जाने ना फिर भी गुमसुम से पीछे तेरे चलने लगी देती है आवाज होकर बेताब थामने हाथ तेरा मचलने लगी यादों की नदिया बहने लगी जान लेकर हथेली पर मेरी आगे ही आगे बढ़ने लगी देखो कितनी मासूम है वो दरया समुंदर से मिलाने चली वो नादाँ क्या जाने हकीकत हमारे बीच दो जहाँ की है दूरी देखो अपने भोलेपन से दो जहाँ को मिलाने चली यादों की नदिया बहने लगी दिल के झरने से निकलने लगी