होलिका दहन पर ऐसे करें पूजा

होली हिन्दुओं में प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस साल, होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह रंगों का त्योहार हर साल फाल्गुन मास के महीने में उत्साह से मनाया जाता है। होली का त्योहार होलिका दहन से शुरू होता है, जिसके बाद अगले दिन रंग और गुलाल के साथ खेला जाता है। आइये आपको बताते है होलिका दहन की पूजा-विधि... 

होलिका दहन पर पूजा विधि: सामग्री: गेहूं की बालियाँ गंगाजल रोली मौली चंदन हल्दी अक्षत फूल फल मिठाई पान सुपारी नारियल धूप दीप लकड़ी गोबर के उपले रंग

विधि: होलिका दहन से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान पर लकड़ी और गोबर के उपलों का ढेर बनाकर उस पर होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित करें। गंगाजल छिड़ककर होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा को पवित्र करें। रोली, मौली, चंदन, हल्दी, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, पान, सुपारी, नारियल, धूप और दीप से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा का पूजन करें। 'ऊँ नमो भगवते रुद्राय' मंत्र का जाप करें। होलिका दहन के समय, परिक्रमा करते हुए 'होलिका दहन मंत्र' का जाप करें:

होलिका दहन मंत्र: ॐ जय जय प्रह्लाद भक्त, जय जय विष्णु भक्त।। होलिका दहन करत हैं, पापों का नाश, दुष्टों का नाश, शत्रुओं का नाश।। होलिका दहन के बाद, प्रसाद ग्रहण करें और सभी को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दें।

कुछ महत्वपूर्ण बातें: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त देखकर पूजा करें। पूजा करते समय मन में भक्ति और सकारात्मक भावनाएं रखें। होलिका दहन के बाद, घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अगले दिन, रंगों से खेलने के बाद, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

होलिका दहन का महत्व: होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें प्रेरणा देता है कि हमें सदैव सत्य और न्याय के पक्ष में खड़ा रहना चाहिए। होलिका दहन के दिन, हम अपने अंदर के नकारात्मक विचारों और भावनाओं को भी जला देते हैं।

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