शायरों द्वारा 'दरिया' पर की गई शायरियां

 

1. ये पानी ख़ामुशी से बह रहा है, इसे देखें कि इस में डूब जाएँ.

 

2. हँसता पानी रोता पानी, मुझ को आवाज़ें देता था.

 

3. हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर, पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देख.

 

4. उठाने हैं अभी दरिया से मुझको प्यास के पहरे, अभी तो खुश्क पैरों पे मुझे रिमझिम भी लिखनी है. . मेरे दामन को वुसअत दी है तूने दश्त-ओ-दरिया की, मैं ख़ुश हूँ देने वाले, तू मुझे कतरा के राई दे.

 

5. अक्स पानी में मोहब्बत के उतारे होते, हम जो बैठे हुए दरिया के किनारे होते.

 

6. अंदाज़ कोई डूबने के सीखे तो हम से, हम डूब के दरिया के किनारे नहीं निकले. . मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं, जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना. . मिल जाऊँगा दरिया से तो हो जाऊँगा दरिया, सिर्फ़ इस लिए क़तरा हूँ कि दरिया से जुदा हूँ.

 

7. डूबे कि रहे कश्ती दरिया-ए-मोहब्बत में, तूफ़ान ओ तलातुम पर हम ग़ौर नहीं करते. . समझ लिया था कभी एक सराब को दरिया, पर एक सुकून था हमको फ़रेब खाने में. . शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है, रिश्ता ही मेरी प्यास का पानी से नहीं है. . वो जो मुमकिन न हो मुमकिन ये बना देता है, ख़्वाब दरिया के किनारों को मिला देता है. . इस बार शहरे दिल में बहुत बारिशें हुईं, दरिया ग़म-ए-हयात के सब बेकिनार हैं. . होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते, घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे.

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