कवि दिवस पर कवियों को समर्पित शायरियां

1. तू बेवफ़ा है तो इक बुरी ख़बर सुन ले, कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है, हसीन लोगों से मिलने पे एतराज़ न कर, ये जुर्म वो है जो शादीशुदा भी करता है. मुनव्वर राणा

2. लोग हर मोड़ पर रुक-रुक के संभलते क्यों है, इतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यों है, मोड़ तो होता हैं जवानी का संभलने के लिये, और सब लोग यही आकर फिसलते क्यों हैं. राहत इन्दोरी

3. ये एहतियाते मोहब्बत तो जी नहीं जाती, के तेरी बात तुझसे कही नहीं जाती, तेरी निगाह भी कैसी अजब कहानी है, मेरे अलावा किसी से पढ़ी नहीं जाती. वसीम बरेलवी

4. दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह, फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह, मैनें तुझसे चाँद सितारे कब माँगे, रौशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह….. क़तील शिफ़ाई

5. वो हैं कि हर इक सांस पे इक ताजा सितम है, हम हैं कि किसी बात का शिकवा नहीं करते. बेखुद देहलवी

6. आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान कर, देते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर. मीर अनीस

7. आँच आती है तिरे जिस्म की उर्यानी से, पैरहन है कि सुलगती हुई शब है कोई. नासिर काज़मी

8. जिंदगी की राहों में, गम भी साथ चलते हैं, कोई गम में हंसता है, कोई गम में रोता है. खातिर गजनवी

9. इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं, दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद. कैफ़ी आज़मी

10. ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का ज़माना जा रहा है, तेरे चेहरे में एैसा क्या है आख़िर, जिसे बरसों से देखा जा रहा है. इमरान प्रतापगढ़ी

11. अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल, लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे. अल्लामा इक़बाल

12. अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है. बशीर बद्र

हम ही तेरे हिज्र में जागा करते थे - मध्यम सक्सेना

बशीर बद्र की रेखता शायरियां

नींद नहीं आई तो दादी ने ली क्लास

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