वर्ल्ड हंगर इंडेक्स की भयावह रिपोर्ट: एक तरफ भोजन की बर्बादी, दूसरी ओर भूखी आबादी

नई दिल्ली: भोजन की बर्बादी, सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि समूचे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है. लेकिन अगर भारत की बात करें तो यह मुद्दा काफी हद तक संवेदनशील भी है, क्योंकि जिस देश ने दुनिया को अन्न का उपार्जन करना सिखाया हो, उस देश में अन्न का अपमान किया जाए, वो भी ऐसे हालातों में जब देश का एक बड़ा तबका रोटी के टुकड़े के लिए तरस रहा है. इसे निश्चित रूप से एक त्रासदी कहा जा सकता है. वर्ल्ड हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट इसकी एक भयावह तस्वीर पेश करती है. आइए देखते हैं कुछ आंकड़े की कितना भोजन बर्बाद होता है और कितने उस भोजन के लिए तरसते हैं.

1 - भारत में हर दिन 244 करोड़ रूपये का खाना बर्बाद किया जाता है. इसमें शादी, होटल्स आदि में बचने वाला भोजन शामिल है. 2 - जबकि इसी देश की 14.5 प्रतिशत आबादी भोजन न मिलने के कारण कुपोषण की शिकार है. 3 - आंकड़ों के मुताबिक देश में 190 मिलियन (एक करोड़ 90 लाख लोग) हर दिन भूखे सोने को मजबूर हैं. 4 - हर दिन 3000 बच्चे भूख से तरसते हुए दम तोड़ देते हैं. 5 - भारत की जनसख्या की उदरपूर्ति करने के लिए हर साल लगभग 230 मिलियन टन अनाज की आवश्यकता होती है, लेकिन 2015-16 में 270 मिलियन टन अनाज का उत्पादन होने के बाद भी देश में हर चार में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार है. वजह साफ़ है भोजन की बर्बादी. 6 - 5 साल से कम उम्र के बच्चों की 21 प्रतिशत आबादी कुपोषण की शिकार है. 7 - ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने भारत को 119 देशों की एक सूचि में 100वें स्थान पर रखते हुए स्थिति को गंभीर बताया है.

क्या हो सकता है समाधान ?

1 - भारतीय संस्कृति में अन्न को भगवान का दर्जा दिया गया है लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हम इतने अंधे हो गए हैं कि थाली में भोजन छोड़ने को फैशन समझ बैठे हैं. 2 - इसके लिए शुरुआत हमे ही करनी होगी और अपनी थाली में भोजन छोड़ने से बचना होगा, भोजन उतना ही लें, जितनी आवश्यकता हो, याद रखें आपका फेंका हुआ भोजन किसी का पेट भर सकता है. 3 -  शादियों में अधिक-से-अधिक व्यंजन परोसने के नाम पर होने वाली फिज़ूलखर्ची एक परम्परा सी बन गई है जो कि एक अवांछनीय कृत्य है. लोग, शादियों पर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं, नतीजन गरीब परिवारों पर अधिक खर्च करने का सामाजिक दबाव बढ़ता है. इस परम्परा पर रोक लगाई जानी चाहिये. 4 -हमारे देश के धर्मगुरुओं, समाजसेवियों को भी इसके लिए आगे आना चाहिए, ताकि वे बचे हुए भोजन को जरूरतमंद तक पहुंचा सकें. 5 - अन्न की बर्बादी के लिए सरकार भी सामान रूप से जिम्मेदार है, क्योंकि अन्न के भण्डारण की प्रक्रिया सही नहीं है, अनाज के खेत खलिहान से लेकर बाजार तक के सफर में कुल फसल का लगभग 40 फीसदी बर्बाद हो जाता है.

ये आंकड़े हमारे देश के लिए बेहद शर्मनाक है क्योंकि, हमारे देश में जहां खाद्य और पोषण सुरक्षा की कई योजनाएं अरबों रुपये के अनुदान पर चल रही हैं, जहां मध्याह्न भोजन योजना के तहत हर दिन 12 करोड़ बच्चों को दिन का भरपेट भोजन देने का दावा हो. जहां हर हाथ को काम व हर पेट को भोजन के नाम पर हर दिन करोड़ों का सरकारी फंड खर्च होता हो. उस देश में 10 लाख बच्चों की कुपोषण से मौत होना निश्चित रूप से विचलित करने वाला है. इसके लिए हमे ही कदम उठाने होंगे. एक ऑकलन के मुताबिक अपव्यय से बर्बाद होने वाली धनराशि से पांच करोड़ बच्चों की जिदगी संवारी जा सकती है और उनका कुपोषण दूर कर उन्हें अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है, चालीस लाख लोगों को गरीबी के चंगुल से मुक्त किया जा सकता है और पांच करोड़ लोगों को आहार सुरक्षा की गारण्टी तय की जा सकती है. 

खबरें और भी:-

भूकंप के झटके से हिल उठा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्मीर: सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़, 2 आतंकी हुए ढेर

लौह पुरुष की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनकर हुई तैयार

 

 

Related News