पर्यावरण दिवस : इंसानों ने नहीं की धरती माँ के इस नायाब तोहफे की कदर

आज के समय में पर्यावरण में मौजूद कई ऐसे तत्व है जो हमारे स्वास्थ्य को परेशानी में धकेल रहे है. जहां एक ओर लगता है कि हम खुले वातावरण में स्वच्छ हवा में सांस ले रहे है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. जो हवा आप शुद्ध बता रहे है वो शुद्ध नहीं बल्कि जहरीली हवा है. जी हाँ... जिस तरह से आज के समय में वातावरण दूषित हो रहा है ऐसे में कही भी शुद्ध सांस लेना मुमकिन नहीं है.

आज हम खुलकर सांस ले रहे है तो इसके लिए हम इस धरती माँ के और प्रकृति के शुक्रगुजार है जिसने हमें यहाँ जीने के लिए जगह दी है. लेकिन सिर्फ धरती माँ ही नहीं बल्कि हम सभी पर्यावरण के भी शुक्रगुजार है क्योकि उसी ने हमें इतनी खूबसूरत दुनिया में रहने के लिए जगह दी है. जिसमे प्रकृति की सुंदरता और खुली हवा हमें प्रदान की लेकिन फिर भी हम मनुष्य उस प्रकृति की रक्षा नहीं कर पा रहे है.

जैसे भेट धरती माँ ने हमें खूबसूरती के तौर पर दिया है हम उस खूबसूरती की कदर ही नहीं कर पा रहे है. सिर्फ एक दिन इस प्रकृति के नाम करने से इसकी हालत नहीं सुधर सकती है. अगर धरती माँ का ये अहसान चुकाना है तो उन्हें वापिस से पहले जैसी ही खूबसूरत और स्वच्छ प्रकृति हमें लौटानी होगी और इसके लिए साल के एक-एक दिन मेहनत करनी होगी.

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जन भागीदारी से हो पर्यावरण की रक्षा

 

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