वो खुशबु की तरह फेला था

फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था सामने बैठा था मेरेऔर वो मेरा न था वो खुशबु की तरह फेला था मेरे चारों ओर मैं उसे महसूस कर सकता था पर उसे छु नही सकता था रात भर उसकी ही आहट कानों में आती है झांक कर देखा गलियों में तो कोई भी आया नही था अक्स तो मौजूद था पर अक्स तन्हाई के थे आज उसने अपने दर्द भी अलग कर लिए मैं रोया था तो वो भी मेरे साथ रोया था ये सभी वीरानी उसके जुदा होने से हैं  याद करके और भी तकलीफ होती है भूल जाने के सिवा कोई और भी चारा न था

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