वो जो तन्हा छोड़ गया था मुझे

दुनिया के तानो का मुझे खास फ़र्क़ नहीं पड़ता, मैं तो बेगैरत हूँ यारो । वो जो तन्हा छोड़ गया था मुझे,खास था बहुत, मुन्तज़िर उसी का आज भी हूँ यारो । खिज़ा हो के बहार हो,अब मैं एक सा रहता हूँ, दोनों ही मौसमो का मैं शुक्रगुज़ार हूँ यारो । ये गर्म हवाएँ तेरी सांसो और आहो का पता देती है, पर अब दिल धड़कता नहीं,अंदर से बहुत सर्द हूँ यारो । वीरान खंडहरों में जा के बड़ा अपनापन सा लगता है, क्या करूँ के गिरती हुई दीवार का हमदर्द हूँ यारो ।

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