वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है