क्या अब सांसद भी नहीं रहेंगे राहुल गांधी ? जानिए क्या कहते हैं संसद के नियम

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाकर राहुल गांधी विवादों में घिर गए हैं। लोकसभा सचिवालय की तरफ से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस जारी करते हुए 15 फरवरी तक जवाब देने को कहा गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी को लेकर विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। निशिकांत दुबे ने कहा कि स्पीकर को बगैर नोटिस दिए देश के प्रधानमंत्री पर इस प्रकार के आरोप नहीं लगाए जा सकते। उन्होंने कहा है कि नोटिस में हमने कहा है कि 15 फरवरी तक राहुल गांधी अपने आरोपों का सबूत पेश करें। अगर वह ऐसा करने में असमर्थ है, तो उन्हें माफ़ी मांगनी होगी। यदि उन्होंने माफी भी नहीं मांगी, तो फिर उन्हें अपनी लोकसभा सीट गंवानी पड़ेगी।

वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी को अनाप-शनाप और निराधार आरोप लगाने पर नोटिस दिया है। जो राहुल गांधी बोल रहे हैं, उसे प्रमाणित तो करना पड़ेगा, मगर ये प्रमाणित भी नहीं करते हैं। हम सब इस देश की जनता के प्रति जवाबदेह हैं। इस बार इस नोटिस पर कार्यवाही की जाएगी। वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बार-बार आग्रह करने के बाद भी विपक्ष ने सदन को चलने नहीं दिया। विपक्षी सांसद, सदन न चलने देने का फैसला कर के ही सदन में आते हैं। दुख होता है जब सदस्य बेहद गंभीर विषय उठाना चाहें, मगर उन्हें मौका नहीं मिले। ये सदस्यों के अधिकारों का भी उल्लंघन है।

बता दें कि, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी ने निचले सदन में अपने भाषण में पीएम मोदी पर कई संगीन इल्जाम लगाए थे। राहुल ने कुछ कारोबारियों की संपत्ति बढ़ने की तरफ संकेत करते हुए इसमें पीएम मोदी का हाथ होने की बात कही थी। राहुल ने पीएम मोदी पर गौतम अडानी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था। इसके बाद 10 फरवरी को लोकसभा सचिवालय की तरफ से उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया। इसमें राहुल गांधी से 'अपमानजनक, असंसदीय और भ्रामक बयान' बताते हुए जवाब देने के लिए कहा गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 8 फरवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था।

क्या राहुल गांधी को निष्काषित किया जा सकता है ?

बता दें कि, लोकसभा स्पीकर के पास किसी भी सदस्य को सदन से निष्कासित या निलंबित करने का अधिकार है। यदि कोई सदस्य, स्पीकर के आदेश की अवहेलना करता है, तो उसे निलंबित किया जा सकता है। लोकसभा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 373, 374 और 374A के तहत, अगर कोई सांसद, सदन के नियमों की अवहेलना करता है, तो उसे अधिकतम 5 बैठकों या शेष सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है। जबकि राज्यसभा में नियम 255 और 256 के तहत एक्शन लिया जा सकता है।

पहले भी माफ़ी मांग चुके हैं राहुल गांधी :-

बता दें कि, इससे पहले भी राहुल गांधी, मोदी सरकार को घेरने में ऐसे बयान दे चुके हैं, जो बाद में उन्ही पर भारी पड़े हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी राफेल सौदे को लेकर पीएम मोदी पर आरोप लगा रहे थे, इस दौरान उनके साथ पूरी कांग्रेस 'चौकीदार चोर है' के नारे लगा रही थी। उस वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को जमकर फटकार लगाई थी, जिसके बाद राहुल को बिना शर्त के माफ़ी मांगनी पड़ी थी और उन्होंने अदालत में कहा था कि, चुनावी उत्तेजना में उनके मुंह से यह बात निकल गई। अब देखना ये है कि, राहुल गांधी हालिया नोटिस पर प्रधानमंत्री के खिलाफ सबूत पेश कर पाते हैं, या फिर माफ़ी मांगते हैं या फिर उनकी सांसद सदस्यता ख़त्म की जाती है ? बता दें कि, वैसे तो पूरी पार्टी ही राहुल गांधी की है, लेकिन उनके पास कांग्रेस में फ़िलहाल जाहिर तौर पर कोई पद नहीं है, वे सिर्फ पार्टी के लोकसभा सांसद हैं। ऐसे में यदि उनकी लोकसभा सदस्याता ख़त्म कर दी जाती है, तो उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं रहेगा।   

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