यरूशलम जहां से जुड़ते हैं मानव सभ्यता के निशान

यरूशलम। यरूशलम जिसके बारे में लोग आश्चर्य से देखते हैं। इसके बारे में लोग जानना चाहते हैं। यह यरूशलम इन दिनों फिर चर्चा में है। दरअसल अमेरिका द्वारा इसे इस्त्रायल की राजधानी की मान्यता दिए जाने का समर्थन किया गया तो कुछ देश इसके विरोध में लगे हैं कुछ देश हैं जो इस मामले में अमेरिका का समर्थन करते हैं। इसके बारे में चर्चा का दूसरा कारण है क्रिसमस, जी हां, ईसाई समुदाय प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाता है, ईसा मसीह की कर्मभूमि यही यरूशलम रहा है। यह स्थल यहूदी धर्म, ईसाई धर्म व इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र नगरी है।

यरूशलम को कुछ स्थानों पर येरूशलम कहा जाता है। यह प्राचीन राज्य की राजधानी रहा है। कहा जाता है कि यहीं से पैगंबर हज़रत मुहम्मद सातवें आसमान पर पहुंचे थे अर्थात् जिसे स्वर्ग कहा जाता है वहां गए थे। यहां पर द इजरायल म्यूजियम, याद भसीम, नोबेल अभ्यारण, अल अक्सा मस्जिद, कुव्वत अल सकारा, मुसाला मरवान, सोलोमन टेंपल, वेस्टर्न वाॅल, डेबिडस गुंबद आदि मौजूद हैं।

इज़रायल म्यूज़ियम में प्राचीन इज़रायल शहर का माॅडल स्थापित किया हुआ है। जिसमें पुरातात्विक वस्तुओं का अच्छा संग्रह है। यहां आने वाले यहां मौजूद अभ्यारण, अल अक्सा मस्जिद याद भसीम आदि देखकर प्रसन्न हो उठते हैं। हालांकि अभ्यारण में मुस्लिम धर्म की शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। इसका क्षेत्रफल 35 एकड़ है। अभ्यारण में फव्वारे, बगीचे व गुम्बद आदि बने हैं। यह शहर इस्त्राएल जाति के लिए उपासना का केंद्र था और यहां ये लोग सरकारी कार्य भी किया करते थे।

यरूशलम, यहूदिया देश के बीच के पहाड़ों पर करीब 750 मीटर की ऊॅंचाई पर बसा हुआ है। बाइबल में लिखा गया है कि यहोवा की उपासना करने वाले यरूशलेम तक जाने हेतु उपर चढ़ा करते थे। इस शहर को राजाधिराज का शहर कहा जाता था। कहा जाता था कि यह परमेश्वर की चुनी हुई जाति की राजधानी था। दाऊद ने इस शहर को यबूसियों से छीना और अपनी राजधानी बना लिया। फिर इसे दाऊदपुर या सिय्योन कहा जाने लगा।

यहां सुलेमान ने एक पहाड़ी पर यहोवा के लिए मंदिर बनवाया था। यहां हवोवा के श्रद्धालु और उनकी उपासना करने वाले बड़े पैमाने पर आते थे। बाइबिल में जो कहानी दी गई है उसके अनुसार यरूशलम जलकर राख हो रहा है और बचे हुए इस्त्रायलियों को पकड़कर बाबुल ले जा रहा है। यहोवा के नबियों ने इस्त्रायलियों को पहले से खबरदार कर दिया, उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने बुरे काम नहीं छोड उनके साथ यही होगा। इस्त्राएलियों ने उनकी बात नहीं मानी। वे झूठे - देवी देवताओं का पूजन करते रहे। उनका कहना था कि यहेजकेल को लेकर वे जानना चाहेंगे।

यहेजकेल बाबुल में रहकर यरूशलेम के मंदिर में होने वाले बुरे कामों को देख पाया। यहेजकेल ने उन कामों को लेकर लिखा। यहोवा ने यहेजकेल से कहा लोग मेरा ज़रा भी आदर नहीं करते। नबूकदनेस्सर उनसे लड़ने पहुंचा। इसके करीब डेढ़ वर्ष बाद बाबुल की सेना यरूशलम में पहुंची तो यरूशलम को जला दिया। राजा नबूकदनेस्सर ने कुछ इस्त्रायलियों को देखरेख का काम दिया। मगर इन लोगों ने राजा को मार दिया। इसके बाद करीब 70 वर्ष तक इस्त्रायल में कोई नहीं रहा।

तीन धर्मों के तीन स्थल 

यरूशलम को लेकर एक आश्चर्यजनक बात यह सामने आती है कि यह शहर ईसाइयत, इस्लाम और यहूदी धर्म के लिए महत्वपूर्ण क्यों है, ये तीनों धर्म अपने उद्गम को बाइबल के चरित्र अब्राहम से संबंधित करते हैं। इस शहर को अरबी में अल - कुद्स कहा जाता है तो हिब्रू में इसे येरूशलम कहा जाता है।

सेपुलकर चर्च यहां ईसाई समुदाय वाले क्षेत्र में सेपुलकर चर्च है। यह ईसाईयों के लिए विशेष स्थान है। ईसाई परंपरा के अनुसार, ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया, मगर यहीं पर वे फिर से जीवित हो गए थे।

मस्जिद 

यरूशलम के जिस भाग में मुस्लिम रहते हैं वह सबसे बड़ा है। यहां गुंबदाकार डोम आॅफ राॅक अर्थात् कुब्बतुल सख़रह व अल अक्सा मस्जिद है। इसे मुस्लिम हरम अल शरीफ़ अर्थात पवित्र क्षेत्र कहा जाता है।

यहूदी भाग

यहूदी भाग कोटेल या फिर पश्चिमी दीवार कहलाता है। यहां पर पवित्र मंदिर था। यह दीवार उस मंदिर की निशानी है। कहा जाता है कि दुनिया का निर्माण जिस शिला पर हुआ उसकी नींव यहीं रखी गई थी। पश्चिमी दीवार, होली आॅफ होलीज की यह सबसे करीबी जगह है। यहां यहूदियों को प्रार्थना करने की अनुमति है।

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