क्यों काटा था परशुराम ने अपनी ही माँ का सर

कहानी  के  पिछले  भाग  में  हमने  बताया  था  की  कैसे  परशुरामजी  ने  अपनी  हे  माता  का  सर  काट  दिया  था .आइये  अब जानते  है  उसके  आगे  की  कहानी  की  कैसे  परशुरामजी  को  मिली  माता हत्या  के  पाप  से  मुक्ति 

राजस्थान के चितौड़ जिले में स्तिथ मातृकुण्डिया वह जगह है जहाँ  परशुराम अपनी माँ की हत्या (वध) के पाप से मुक्त हुए थे. यहां पर उन्होंने शिव जी की तपस्या की थी और फिर शिवजी के कहे अनुसार मातृकुण्डिया के जल में स्नान करने से उनका पाप धूल गया था. इस जगह को मेवाड़ का हरिद्वार  भी कहा जाता है. यह स्थान महर्षि जमदगनी की तपोभूमि से लगभग 80 किलो मीटर दूर हैं.

मातृकुण्डिया से कुछ मील की दुरी पर ही परशुराम महदेव मंदिर स्तिथ है इसका निर्माण स्वंय परशुराम ने पहाड़ी को अपने फरसे से काट कर किया था. इसे मेवाड़ का अमरनाथ कहते है.

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