जानिए क्यों हवन में किया जाता है आम की लकड़ी का इस्तेमाल?

आप सभी जानते ही होंगे हिंदू धर्म में हवन का विशेष महत्व है। जी दरअसल हवन करने से सकारात्मकता का संचार करता है। वहीँ धार्मिक शास्त्रों (Yagya) के अनुसार हवन को मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए किया जाता है। जी हाँ और इसी के साथ इससे मानसिक तनाव दूर होता है और मन को शांति मिलती है। आप सभी को बता दें कि हवन कई तरह की सामग्री का इस्तेमाल करके किया जाता है। इस लिस्ट में कपूर और आम (Mango) की लकड़ियां शामिल है जिसका इस्तेमाल करके पंडित हवन की आग जलाते हैं। इसके अलावा मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। हालाँकि क्या आपने कभी सोचा है कि हवन के लिए आम की लकड़ियों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है ? अगर सोचा है और आपको जवाब नहीं पता तो आज हम आपको बताते हैं जवाब।

रिसर्च के अनुसार- कहते हैं आम की लकड़ी से कार्बन डाइऑक्साइड बहुत ही कम मात्रा में निकालती है। ये अधिक ज्वलनशील होती है। बस यही कारण है कि थोड़ी सी हवा के कारण ये तुरंत जलने लगती है। वहीँ एक अन्य अध्ययन के अनुसार जब आम की लकड़ी जलती है तो इसमें से फॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस निकलती है। जी हाँ और यह गैस खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारने का काम करती है। केवल यही नहीं बल्कि इससे वातावरण शुद्ध होता है। जी हाँ और इससे प्रदूषित वायु को शुद्ध करने में मदद मिलती है। आप सभी को बता दें कि वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया खत्म होते हैं और इसके अलावा हवन के धुएं से टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं। जी हाँ और इससे फेफड़ें और श्वास संबंधी समस्याएं दूर होती है। ये शरीर को शुद्ध करता है।

आध्यात्मिक कारण- आप सभी जानते ही होंगे हवन एक ऐसी प्रथा है जो लगभग हर भारतीय घर में होती है। इसे किसी भी नए स्थान में प्रवेश करने या गृह शांति के लिए करना बहुत ही शुभ माना जाता है। जी हाँ और इसी के चलते जब भी कोई नई दुकान, नया घर या नया ऑफिस लेता है तो सबसे पहले उस स्थान पर हवन कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और उस जगह का शुद्धिकरण होता है। वहीँ इसके अलावा बच्चे के जन्म, विवाह और मृत्यु के दौरान भी हवन किया जाता है। कहते हैं बच्चे का जन्म होने पर ग्रहों की शांति के लिए हवन किया जाता है ताकी बच्चे के जीवन में किसी प्रकार की बाधाएं न आएं। आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म में अग्नि के 7 फेरे लेकर शादी के बंधन को पवित्र किया जाता है। वहीँ मृत्यु के दौरान मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए हवन किया जाता है।

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