आखिर क्यों बच्चों को याद नहीं होती उनकी बचपन की बातें

वैसे तो हमने साइंस की मदद से बड़े बड़े सवालों के जवाब ढूंढ लिए हैं। लेकिन एक सवाल अब भी बाकि है जिसका जवाब हमे अभी तक नही मिला है। जी हाँ,वो सवाल है बच्चों के मस्तिष्क का। आखिर क्यों उन्हें पैदा होने के बाद 1-2 साल की कोई बात याद नही होती। नहीं जानते ना। लेकिन इस सवाल का जवाब अब हमे मिल गया है। तो जानिए क्यों बच्चे को अपने बचपन की एक दो साल की बाते याद नही रहती।

कैसे काम करता है बच्चों का मस्तिष्क - पेरिस और डेनमार्क के न्यूरोसाइंटिस्टों ने एक अध्ययन किया और 5 महीने के शिशुओंं के सिर पर सेंसर लगाया, बच्चों को स्क्रीन पर दो चेहरे दिखाए। इन दोनों चित्रों को देखने पर बच्चों के मस्तिष्क में एक्शन हुआ। इस रिसर्च के नतीजों से साफ हुआ कि बच्चों का मस्तिष्क जन्म से ही काम करता है। लेकिन क्यों 2 या 3 साल की उम्र तक की कोई बात हमें याद नहीं होती। एक दशक पहले दुनिया के प्रसिद्ध सायकोथेरेपिस्ट सिगमंड फ्रॉयड ने इसे नाम दिया 'चाइल्ड एम्नेसिया।' उन्होंने ये जानने की कोशिश की कि आखिर छोटी सी उम्र में हमारे दिमाग में क्या चलता है और क्यों हमे 2-3 साल की उम्र की बाते याद नहीं होती है। कुछ अध्ययन का मानना है कि बच्चों की याद्दाश की सीमा लोगों और उनके देशों के हिसाब से होती है।

बच्चों के मस्तिष्क में 'अर्थ स्मृति' (सिमेन्टिक मेमोरीज) होती है। ऐसी यादें कल्पना पर आधारित होती हैं। लेकिन बच्चों में 'प्रासंगिक स्मृति' की कमी होती है। इसी से व्यक्ति में स्थान और घटनाएं याद रखने और उन्हें समझने की समझ आती है। इसीलिए बच्चों को समझ आता है लेकिन यह यादें उनके दिमाग में नहीं जुड़ती।

भूलना है बच्चों के दिमाग के लिए अच्छा - वैज्ञानिकों का मानना है कि 'प्रासंगिक स्मृति' (एपिसोडिक मेमोरीज) बेहद जटिल प्रक्रिया है और यदि शुरुआत से ही यह बच्चों में विकसित हो जाए तो इससे बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में बाधा होगी।अर्थ स्मृति की मदद से बच्चे पहले वह चीजें सीखते हैं, जो महत्वपूर्ण होती हैं और सीखते हुए होने वाले अनुभवों को वह याद नहीं रख पाते।

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