गिनती के सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं शादी में?

धरती पर कई जाति व धर्म के लोग निवास करते हैं और हर धर्म कि अपनी अलग मान्यता है, उन्ही में से अगर हिन्दू धर्म कि बात करें, तो इसमें भी आपको ऐसी कई परंपराएं और मान्यताएं नजर आयेंगी, जो आज से नहीं बल्कि आदि काल से चली आ रही है। आज हम आपसे एक ऐसी ही परंपरा और मान्यता के बारे में चर्चा करगें, जहां पर हम शादी से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जानेंगे। अक्सर हिन्दू धर्म में जब किसी लड़के या फिर लड़की कि शादी होती है, तो उस दौरान उसे सात फैरे लेने पड़ते है। लेकिन कभी आपने यह सोचा है कि शादी के दौरान सात ही फैरे क्यों लिये जाते है? तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से....

पहला फेरा और पहला वचन: पहले फेरे में वधू वर से वचन मांगती है, क‍ि अगर वह कहीं भी तीर्थ यात्रा या फ‍िर कहीं घूमने जाएं, तो उसे भी अपने साथ लेकर जाएं। इसके अलावा हर व्रत-उपवास और धर्म कर्म में उसे जरूर भागीदार बनाएं। 

दूसरा फेरा दूसरा वचन: दूसरे फेरे में वधू वर से दूसरा वचन मांगती है, कि जिस प्रकार वह अपने अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं। उसके माता-पिता और पर‍िजनों का सम्मान करें। इसके अलावा कुटुम्ब की मर्यादा को बनाएं रखें। 

तीसरा फेरा तीसरा वचन: इस तीसरे फेरे के तीसरे वचन में वधू वर से कहती है क‍ि वह उसे ये वचन दे, कि वह उसको जीवन की तीनों अवस्थाओं  युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था  में उसका ख्याल रखेगा। अगर ऐसा है तो वह उसके साथ आने को तैयार है।

चौथा फेरा चौथा वचन: चौथे फेरे में वधू वर से चौथा वचन ये मांगती है क‍ि अब तक वह यानी क‍ि वर घर-परिवार की चिन्ता से पूर्णत: मुक्त था। जबकि अब विवाह बंधन में बंधने के बाद परिवार की समस्त आवश्यकताओं को पूरा करने का वचन दे, तो वह उसके साथ आने को तैयार है। 

पंचवां फेरा पांचवां वचन: इस पांचवें फेरे में वूध कहती है वह यानी क‍ि वर उससे अपने घर के सभी कार्यों में, वि‍वाह, लेन-देन सामूह‍िक आयोजनों या अन्य  किसी कार्य में खर्च करते समय उसकी रजामंदी जरूर ले। यद‍ि ऐसा है तो वह उसके साथ तैयार है।  

छठवां फेरा छठवां वचन: इसमें वधू कहती है क‍ि यद‍ि वह अपनी सहेल‍ियों या अपने पर‍िजनों के समक्ष बैठी है, तो वह वहां पर कभी उसका अपमान नहीं करेगा। इसके अलावा वह हमेशा जुआ और शराब जैसे व‍िभि‍न्नं प्रकार के दुर्व्यसन से दूर रहने का वचन दे, तो वह तैयार है। 

सातवां फेरा सातवां वचन: सातवें फेरे में वधू वर से यह मांगती है कि आप कभी दूसरी स्त्रियों को नहीं देखेंगे। उन्हें  हमेशा माता के समान समझेंगे। उनके आपसी र‍िश्तेे में क‍िसी और का हस्तक्षेप नहीं होगा।

 

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