जब देश का सपना पूरा करने के लिए सिंधु खेल रही थी, तब लोग उनकी जाती सर्च कर रहे थे

नई दिल्ली : रियो ओलिंपिक में जब भारत की दिग्गज खिलाडी पीवी सिंधु बैटमिंटन कोर्ट में देश के सपने को पूरा करने के लिए पसीना बहा रही थी तब इंटरनेट पर उनकी जाति की सर्च किया जा रहा था। भले ही हम 21वीं सदी की बातें करते है लेकिन, लेकिन गूगल के मुताबिक हजारों लोग यह पता लगाने की कोशिश में लगे थे कि सिंधु किस जाति की है। गूगल पर 'पीवी सिंधु कास्ट' ट्रेंड करने लगा।

21 वर्षीया सिंधु अविवाहित हैं और उनके सरनेम से जाति का स्पष्ट अंदाजा नहीं लगता। सिंधु के माता-पिता ने लव मैरिज की थी, इसलिए भी प्रशंसकों को इस बारे में कुछ अंदाजा नहीं है। सिंधु की जाति की सबसे ज्यादा खोज उनके गृहराज्य आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में हुई। उनका जन्म और परवरिश हैदराबाद में ही हुआ है, जबकि मां विजयवाड़ा की रहने वाली हैं। हालांकि भारत के अन्य राज्यों हरियाणा, कर्नाटक आदि में भी उनकी जाति तलाशी गई।

रियो में सेमीफाइनल में जैसे ही सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकोहुरा को हराया, उनकी जाति जानने वालों की संख्या 10 गुना बढ़ गई। डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने जून में, जबकि करीब 90 हजार लोगों ने जुलाई में सिंधु की जाति ढूंढी। अगस्त में यह तलाश अचानक 10 गुना बढ़ गई। सिंधु ने 19 अगस्त को ओलिंपिक में रजत पदक जीता और इस दिन उन्हें सर्च करने वालों और उनकी जाति तलाशने वालों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ। सिंधु के अलावा उनके कोच पुलेला गोपीचंद, साक्षी मलिक और दीपा करमाकर की जाति भी सर्च की गई।

वही ओलिंपिक वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं भारतीय जिम्नास्ट दीपा कर्मकार का कहना है कि एथलीट किसी जाति-धर्म के नहीं होते। हम सब भारत के एथलीट हैं, किसी जाति या धर्म के नहीं। हम लोग एक साथ अभ्यास करते हैं, एक साथ खेलते हैं और एक-दूसरे से भिड़ते भी हैं। हम सिर्फ तिरंगे के सम्मान के लिए खेलते हैं।

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