न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर कई साल ब'अद मिले हैं हम तेरे नाम आज की शाम है. नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे. तुम परिंदों से ज़ियादा तो नहीं हो आज़ाद शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो. तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे. उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है. बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई. हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते. हम भी इक शाम बहुत उलझे हुए थे ख़ुद में एक शाम उस को भी हालात ने मोहलत नहीं दी. होती है शाम आँख से आँसू रवाँ हुए ये वक़्त क़ैदियों की रिहाई का वक़्त है. मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ. मुझे हर शाम इक सुनसान जंगल खींच लेता है और इस के बाद फिर ख़ूनी बलाएँ रक़्स करती हैं. साए ढलने चराग़ जलने लगे लोग अपने घरों को चलने लगे. साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले हम को जाना है कहीं शाम से पहले पहले. गुड़ इवनिंग शायरियां FIR लिखने के बदले महिला इंस्पेक्टर ने की घिनौनी मांग यहां हर साल इस महीने में निकाली जाती है फूलों की परेड