क्या गुनाह कर दिया जो गीता पढ़ ली मैने.!

हमेशा हमें धर्म के बारे में बताया जाता है यह समझाया जाता है कि हमारा धर्म क्या है और दूसरों का क्या है. यह बात हमेशा से ही सुनी और देखी जाती है कि धर्म को लेकर पक्षपात होता है लड़ाईयाँ लड़ी जाती है. लेकिन हाल ही में मात्र 12 साल की मरियम सिद्दकी ने इस बात को झुठलाते हुए इस बात को साबित कर दिया है कि जहाँ चाह है वहां राह है. जी हाँ कुछ समय पहले ही मरियम ने गीता प्रतियोगिता को जीतकर नया मुकाम हासिल किया है. लेकिन मरियम कहती है कि अब भी उनके मन में एक सवाल है जो उन्हें अंदर तक झंझकोर कर रख देता है. और वह सवाल है कि "क्या हर किसी के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता अगर वह यह प्रतियोगिता जीतता तो.?"  

यह सवाल सुनने में तो एक आम सवाल की तरह ही लगता है लेकिन अगर सोचा जाये तो यह एक बहुत बड़ा सवाल है जो ना केवल एक व्यक्ति से जुड़ा है या फिर एक समाज से बल्कि यह सवाल जुड़ा है पूरे देश से. मरियम का कहना है कि मैं एक मुसलमान हुँ और फिर भी मेने यहाँ इस गीता प्रतियोगिता में भाग लिया है और ना केवल भाग लिया और इसे जीता भी है, लेकिन अगर यही कोई हिन्दू करता तो शायद किसी के लिए भी यह एक बड़ी बात नहीं होती. सभी लोग यह कहते कि यह उसी धर्म का है लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ है. मैं यह भी नहीं जानती हुँ कि क्या ये सब इसलिए हो रहा है कि मैं एक मुसलमान हूं या फिर इसलिए कि मैंने हिन्दू धर्म की पुस्तक गीता पढी है?"

मेरा यह मानना है कि अगर वो मुसलमान नहीं होती तो शायद उन्हें इतनी तव्वजो नहीं दी जाती. मरियम ने यह भी कहा है कि जब यह माना जाता है कि सभी धर्म एक समान हैं तो फिर अगर मैंने गीता पढ़ ली तो इस बात पर इतनी चर्चा क्यों की जा रही है. मरियम कहती है कि गीता पढ़ना मेरा शौक है और इसके साथ ही मैने कई धार्मिक किताबें पढ़ी है लेकिन उसके बारे में कोई सवाल नहीं किया जा रहा है, तो गीता पर इतने सवाल क्यों..? मरियम कहती है कि "मैंने गीता इसलिए पढ़ी क्योंकि मैं अपने मां बाप को इसका मतलब बताना चाहती थी, राजनीति मेरा मक़सद नहीं है. और अगर एक मुसलमान गीता पढता है तो इसे राजनितिक रंग पहनने की भी कोई आवश्यकता नहीं है."

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