रुपे के मुकाबले हमारी सर्विसेज है सस्ती

रुपे के कार्ड्स को लेकर एक सियासी जंग का आलम देखने को मिल रहा है. गौरतलब है कि यहाँ रुपे की तरफ से जारी किये जा रहे कार्ड्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है वहीँ अमरीका की कंपनियां मास्टरकार्ड और वीजा भी रुपे जैसे मौके की मांग कर रही है. सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की कम्पनियों के द्वारा गवर्नमेंट के फाइनेंसियल इन्क्लूशन प्रोग्राम का लाभ लेने के लिए यह मांग की जा रही है.

गौरतलब है कि रुपे को पहले से ही रिज़र्व बैंक का सपोर्ट मिला हुआ है. इसको देखते हुए यहाँ की कम्पनियों ने यह कहा है कि उनकी जितनी भी सर्विसेज है वे नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) से बहुत सस्ती है लेकिन इसके बावजूद भी फाइनेंसियल इन्क्लूशन प्रोग्राम के लिए केवल रुपे कार्ड को ही जारी किया गया है. मामले में कम्पनियो का यह भी कहना है कि उनकी कंपनियां भी यह चाहती है कि वे दुनिया के इस सबसे बड़े प्रोग्राम का हिस्सा बने क्योकि वे पहले से ही अपनी सर्विसेज को सस्ता बांये हुए है.

कम्पनी का आगे यह भी कहना है कि आज बाजार एटीएम के यूज़ को लेकर बढ़त ही जा रहा है, यहाँ तक की आलम यह भी है कि आज बाजार का 90 फीसदी हिस्सा एटीएम से ट्रांसेक्शन पर निर्भर हो गया है. और हम बाजार में नेशनल प्रोग्राम के बजाय 30 फीसदी सस्ती सर्विसेज दे रहे है और इस मामले में सभी बैंको को भी जानकारी है. कुछ इस तरह की राय ही यहां लगभग कम्पनियो से देखने को मिल रही है.

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