वास्तुदोष के कारण किराएदार से विवाद की नौबत आ सकती है

बढ़ती महंगाई के इस दौर में यदि आपके पास ढेरों मकान है तो ये ख्वाहिश रहती है कि यदि कोई किराएदार रहे तो निश्चित रूप से अपनी आमदनी की उम्र बढ़ा सकते हैं। अमूमन देखा जाता है कि वास्तुदोष के कारण किराएदार से विवाद की नौबत आ सकती है।

ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमें वास्तुदोषों का निराकरण करना चाहिए। यहां हम कुछ ऐसे ही टिप्स दे रहे हैं जिनसे आप अपने मकान के वास्तु दोष दूर कर लाभार्जन कर सकते हैं।

यदि ईशानकोण दबा या कटा हुआ है। तो वह किराएदार से विवाद पैदा करवाता है।

मकान मालिक जिस घर को किराए पर देना चाहता है, उसकी छत ऊंची और दीवारें मोटी होनी चाहिए। इससे किराएदार के अनावश्यक हस्तक्षेप से बचा जा सकता है।

किराएदार के लिए पूर्व उत्तर व वायव्य का भूभाग सदा उपयुक्त रहता है। इस स्थान पर निवास करने से भू-स्वामी के साथ किराएदार के संबंध मधुर और सहयोगपूर्ण रहेंगे।

यदि मकान के उत्तर में सड़क है तो आप उत्तर, ईशान व पूर्व का भाग अपने लिए रखकर वायव्य एवं आग्नेय कोण का भाग किराएदार को दे सकते हैं।

यदि किराएदार अग्नि संबंधी जैसे बिजली आदि का कार्य करता हो तो उसे आग्नेय कोण की ओर का कमरा दें।

किराएदार के साथ धन का लेन देन करते समय स्वयं उत्तर दिशा की ओर मुख कर खड़े हों।

घर में शीशम, सागौन, आम, साल, अशोक, नीम और अर्जुन आदि की लकड़ियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। न ही घर में लकड़ी की खिड़कियों एवं दरवाजों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। अन्यथा मकान मालिक और किराएदार के संबंध वैमनस्यपूर्ण रहेंगे।

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