किसी शबनमी सी रात में , मिल जा मुझे ख्वाब में छू ले तू ओस की तरह घुल जा मेरे शबाब में वक़्त का है ये इशारा, अनकहा कुछ बोल दे छेड़कर तू तार दिलके, राज सारे खोल दे आज ले बाहो में ढक ले , आसमानो की तरह रूह में तू चाहतो के, रंग सारे घोल दे भीगी भीगी रात की मखमली सी सुबह धुप ओढ़े आ रही है, शायराना रुबाब में किसी शबनमी सी रात में , मिल जा मुझे ख्वाब में छू ले तू ओस की तरह घुल जा मेरे शबाब में ..